देशशहर

धानुका सोया पर पहुंची प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन की टीम

सैंपल लेकर हुई रवाना, प्रदूषण से प्रताड़ित लोगों को प्रभावी कार्यवाही का इंतजार

नीमच 19 नवंबर 2025

जमुनियाकला के किसानों की दर्दनाक पुकार आखिरकार शासन–प्रशासन के कानों तक पहुंच ही गई। धानुका सोया प्लांट द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) अनुपालन के बड़े-बड़े दावों की सच्चाई उस समय सामने आ गई, जब उज्जैन से आई पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की विशेषज्ञ टीम ने मौके पर पहुँचकर हर दावे की हकीकत को जमीन पर नापा। ग्रामीण वर्षों से जिस जहरीले पानी, बदबूदार केमिकल और बर्बाद होती फसलों का दर्द झेल रहे थे, वही तस्वीर सोमवार को टीम के सामने साफ दिखाई दी।

खुले में मिला दूषित केमिकल पानी—ZLD की हकीकत उजागर

निरीक्षण के दौरान टीम को फैक्ट्री परिसर में ही खुले में जमा हुआ दूषित पानी, काली परत, तेज बदबू और केमिकल मिश्रण के साफ संकेत मिले।एक स्थान पर भारी मात्रा में फ्लो मार्क्स (Flow Marks) भी मिले—जो यह साबित करने के लिए काफी थे कि प्रदूषित पानी कहीं न कहीं से बाहर छोड़ा जा रहा है।टीम ने फैक्ट्री परिसर के अंदर, खेतों, नालों, तालाब और ग्रामीणों के खुले कुओं में फैलते दूषण को बेहद गंभीरता से दर्ज किया। कई स्थानों को संदिग्ध चिह्नित कर नमूने लिए गए, जिन्हें उज्जैन की लैब भेजा गया है।

ग्रीन स्पेस डेवलपमेंट नहीं, खुले में गंदा पानी”—वैज्ञानिकों की स्पष्ट टिप्पणी

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं लैब हेड प्रद्युम्न खरे ने निरीक्षण के बाद कहा—ग्रामीणों की शिकायतें और मीडिया रिपोर्टें आधार बनने पर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई। मौके पर कई खामियां मिली हैं। फैक्ट्री की भूमि पर खुले में दूषित पानी भरा मिला है। ग्रीन स्पेस डेवलपमेंट और प्लांटेशन भी नहीं पाया गया। सभी बिंदु रिपोर्ट में शामिल कर मुख्यालय भेजे जाएंगे, आगे की कार्रवाई वहीं तय होगी।”यह बयान साफ संकेत देता है कि प्रकरण अब हल्का नहीं, बल्कि कार्रवाई योग्य स्तर पर पहुंच चुका है।

किसानों की व्यथा—फसलें झुलसीं, कुएँ जहरीले, पशु बीमार

स्थानीय किसानों ने टीम के सामने अपना दर्द उंडेलते हुए कहा—खेतों में फैक्ट्री का केमिकल मिश्रित पानी आने से फसलें नष्ट हो रही हैं।कुओं का पानी पीने लायक नहीं, उसमें तेज बदबू और कड़वाहट आ चुकी है।कई किसानों को आँखों में जलन, सांस में तकलीफ, और पशुओं के बीमार पड़ने की समस्या भी बढ़ी है।किसान लगातार आग्रह करते रहे कि फैक्ट्री द्वारा किया जा रहा यह “रासायनिक अत्याचार” उनके जीवन, स्वास्थ्य और खेती—दोनों पर हमला है।प्रशासनिक अमले में हड़कंप—रिपोर्ट के बाद बड़ी कार्रवाई संभवपॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की इस औचक कार्रवाई के बाद अब धानुका सोया के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।यदि नमूनों में गड़बड़ी प्रमाणित होती है, तो—फैक्ट्री पर भारी जुर्माना,उत्पादन पर रोक,या संचालन पर सख्त शर्तेंसी कार्रवाई भी संभव है।

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