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जिला प्रशासन एवं स्वास्‍थ्‍य विभाग के समन्वय से मॉ एंव बच्ची को मिला पुर्नजीवन

स्‍वस्‍थ्‍य होकर घर लौटी मां एवं शिशु बेबी

नीमच 23 जुलाई 2025,

जिले के मनासा कस्बे की रितिका पति गणेश जिसका संभावित प्रसव 12 अगस्त 2025 को होना था । किन्तु संभावित तिथि के लगभग एक माह पूर्व ही रितिका को अचानक झटके आने ( पी.आई.एच. एवं एक्लेम्पसिया ) लगे तथा संभावित तिथि के पूर्व ही प्रसव की संभावना बनी जिससे प्रसूता की जान पर बन आई । झटके आने की स्थिति में मां और बच्ची दोनो की जान को खतरा रहता है । चुकि जिला चिकित्सालय में पूर्ण रूप से विकसित मेटरनल आई.सी.यू. नही है अतः पूर्व में इस प्रकार के प्रकरणों में मरीजो को उदयपुर रतलाम रैफर करना पडता था।

मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी नीमच डॉ. आर.के. खद्योत ने उक्‍त जानकारी देते हुए बताया कि मरीजों की पीडा को समझते हुए मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर.के. खद्योत ने रितिका का नीमच में ही प्रसव कराने हेतु निजी चिकित्सालय की सेवाओं का लाभ लेने के लिये कलेक्टर श्री हिमांशु चन्द्रा से ज्ञानोदय मल्टी स्पेशयलीटी हास्पिटल के मेटरनल आई.सी.यू. की सेवाऐ लेने का अनुरोध किया इस पर कलेक्‍टर श्री चंद्रा ने पीडिता को तत्‍काल उपचार सुविधाए मुहैया कराने के निर्देश दिए । आवश्‍यक उपचार सुविधाओ को जुटाने के पश्‍चात जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. महेन्द्र पाटील, मेडिकल विषेशज्ञ डॉ सतीश चौधरी के नेतृत्व में डॉ. लाड धाकड एवं डॉ नितीन जैन द्वारा महिला रितिका का एल.एस.सी.एस. 6 जुलाई को रात्रि 10 बजे के लगभग एनेस्थिसिया चिकित्सक डॉ. हेमेन्द्र भारद्वाज , नर्सिग स्टाफ की उपस्थिति में किया गया।

प्रवस उपरांत प्रीटर्म बेबी जो 34 सप्ताह में पैदा हुआ था और जिसका जन्म वजन 1450 ग्राम था जो कि सामान्य वजन से अत्यन्त कम था , ऐसी स्थिति में रितिका के बेबी को डीएच नीमच के विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में डॉ. प्रशांत राठौर और अन्य एसएनसीयू डॉक्टरों की टीम के तहत भर्ती कराया गया था, जिसमें प्रीमेच्योरिटी, कम जन्म वजन और श्वसन संकट की शिकायत थी। पूर्णतः स्वस्थ्य होने पर जच्चा बच्चा को अनुविभागीय अधिकारी श्री संजीव साहू की उपस्थिति में 18 जुलाई को अस्पताल से खुशी खुशी घर के लिये रवाना किया। , डिस्चार्ज के समय बच्ची का वजन 1600 ग्राम था और बच्चा अच्छी प्रकार से माता का दूध पी रही थी। बच्ची के माता पिता को लगातार एस.एन.सी.यू. मे फॉलों अप कराने की सलाह दी गई। इस पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन , सिविल सर्जन, प्रसूति विंग , एस.एन.सी.यू. की टीम द्वारा आपसी समन्वय और सेवा भाव से कार्य करते हुए एक मां और बच्ची की जान बचाई जो कि मानवता के प्रति अनुकरणीय मिसाल है ।

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