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पशुओं के कान पर टेग लगवाएँ पशुपालन विभाग की सेवाओं का लाभ ले

नीमच 02 दिसम्‍बर 2025,

राष्ट्रव्यापी पशु रोग नियंत्रण कार्यकम तथा कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम भारत पशुधन पोर्टल पर पशुओं के कान में लगे बारह अंक के टेग के आधार पर की जाती है जो उस युनिक पहचान नम्बर है। यह पोर्टल पशु को दी गई समस्त सेवाओं को सुरक्षित रखता है तथा समय-समय इसे देखा जा सकता है तथा भविष्य के सन्दर्भ में उपयोग किया जा सकता है।

उपसंचालक डॉ.राजेश कुमार पाटीदार ने बताया, कि मध्यप्रदेश शासन के नवीनतम निर्देशों के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक पशु के कान पर टेग लगा होना आवश्यक है यदि पशु के कान में पूर्व से टेग लगाया और गुम गया या टूट गया है या नम्बर अपठनीय है तो उनके स्थान पर नवीन टेग लगवाए। इस हेतु विभागीय कर्मचारी, गौसेवक मैत्री पशुपालक के घर आएगें और पशुओं के टेग लगाने का कार्य करेगें। इस कार्य में उन्हें सहयोग करें ताकि आपके पशु के प्रजनन, टीकाकरण, स्वास्थ्य आदि की जानकारी भारत पशुधन पोर्टल पर दर्ज कर संरक्षित की जा सके।

पशु टेग से मिली भैस:- वर्ष 2020 में मनासा विकासखण्ड के ग्राम पंचदेवरा निवासी श्री मदनचन्द्र गुर्जर की दो भैंस जंगल से गुम गई थी। एक लाख कीमत की दोनो भैंसे बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिली। इसी दौरान भीलवाडा के पशु चिकित्सा अधिकारी उप संचालक डॉ.राजेश पाटीदार को फोन आया और बताया, कि हमारी संस्था में दो भैंस बांध रखी है, जिनके कान में टेग लगे है और जब पोर्टल पर टेग नम्बर के आधार पर पशु मालिक का नाम सर्च किया, तो आपके जिले के मनासा विकासखण्ड की बता रहा है, तब मैंने रोजगार सहायक के माध्यम से पशुपालक की पुष्टी कर उसे सूचना की, तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ, कि ऐसा भी हो सकता है, तब पशुपालक पीकअप लेकर भीलवाडा गया और अपनी दोनो भैंसे लेकर आ गया। यह फायदा भी टेग लगे होने के कारण ही हुआ है और पशुपालक को टेग लगे होने के कारण अपनी गुम हुई, दोनो भेस आसानी से वापस मिल पाई है। अत: सभी पशुपालक अपने पशुओं को टेग अवश्य लगवाएं।

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